योग के व्यापक और विस्तृत स्वरूप ने इसके अनेक प्रकारों को जन्म दिया है। दत्तात्रेय योगशास्त्र और योगराज उपनिषद में योग के चार प्रकारों को मान्यता दी गई है: मंत्रयोग, लययोग, हठयोग और राजयोग। योग तत्वोपनिषद में इन चार प्रकारों की विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार किया गया है: